संस्कृत में सरस्वती वंदना प्रस्तुत है –
यह वंदना मैंने स्कूल में सीखी थी …. इस वन्दना में माँ सरस्वती की पूजा अर्चना है, अक्षत चन्दन लगाया जा रहा है, धूप दीप जलाए जा रहे है, माला चढ़ाई जा रही है, शंख बजाया जा रहा है चरणों में पुष्प रख कर नतमस्तक हुआ जा रहा है …..
अक्षत चन्दन मत्तशील मिवते , चन्द्रोज्वलम शीतलम
दीपोयम प्रतिभा प्रभाव इवते , कान्तस्थिरम दीप्यते
दूपोयम तव कीर्ति संचय इव , तव मोरदर्दिशों व्यष्णुते
माल्यम निर्मल कोमलम , तव मनस्तुल्यम समुद्धास्ते
कंबुस्थापित मेत दम्बु सरसम , काव्यम त्वत्रियम यथा
पुष्प श्रेलिरियम गुणा लिरिवते , पश्यज्वना कर्षिणा
अर्ध्यम ताव दिदम क्रितम तव कृते , दूर्वा क़ुराध्यम नितम
ननवेतत प्रति गृह्यता करुणया
स्वसत्यसतुते श्राश्वतम !