वृन्दावन के कुञ्ज की चर्चा कई कवियों ने की। इसकी चर्चा कृष्ण के साथ, रासलीला के साथ की जाती है। वास्तव में जब भी कृष्ण की चर्चा होती है राधा की, गोपियों की और कुञ्ज की चर्चा होती है। कुञ्ज देखने में बहुत सुन्दर है जिसे यहां निधिवन कहा जाता है। यहाँ के बारे में कई बाते बाताई जाती है जिनका आधार पौराणिक ही है –
भीतर प्रवेश करते ही पूजापा के नाम पर श्रृंगार की टोकरी मिलती है जो राधा जी के लिए चढावा है जिसमे श्रृंगार का सब सामान होता है। कुञ्ज में श्रृंगार मंदिर है जिसमे सामने एक शैय्या है और यही श्रृद्धालु अपना चढावा रखते है। चारो ओर भी श्रृंगार का सामान रखा है। माना जाता है कि रोज़ रात में यहाँ कृष्ण आते है और राधा का श्रृंगार करते है इसीसे सवेरे इस मंदिर में श्रृंगार का सामान बिखरा पडा मिलता है। यहाँ दावे के साथ कहा जाता है कि रात में सभी सामग्री को करीने से सजा कर रख दे तब भी सवेरे सारा सामान बिखरा हुआ ही मिलेगा।
यह श्रृंगार मंदिर भीतर है। बाहर से हम भीतर जाते ही एक ओर खुला क्षेत्र है जिसके लिए कहा जाता है कि यहाँ रोज़ रात में कृष्ण जी आते है और राधा व गोपियीं संग रास लीला करते है, यहाँ से कुञ्ज शुरू होता है। दोनों ओर झाड़ियाँ है बीच की पगडंडी से चलने का रास्ता है। झाड़ियाँ ज़मीन से घनी नहीं है जिससे नीचे की साफ़-सुथरी ज़मीन नज़र आती है। कुछ झाड़ियों में पत्ते ही नही है –
कुछ झाड़ियों में पत्ते है और यह पत्ते शमी ( सोना रूपा ) के पत्तों की तरह नज़र आते है। लेकिन इन्हें शमी के पत्ते मानने से इनकार किया जा रहा है। वास्तव में यहाँ झाड़ियाँ न कह कर लताएं कहा जा रहा है और यह भी बताया जा रहा है कि इन लताओं की कोई पहचान नही है, इन्हें कभी पानी नहीं दिया जाता, इनके तने खोखले है
पर ये हमेशा हरे-भरे रहते है, इनका अध्ययन भी किया गया पर कोई जानकारी नहीं मिल पाई –
इस कुञ्ज में भीतर रात में कोई नहीं रहता। इसे बंद कर दिया जाता है क्योंकि रात में कृष्ण भगवान रास रचाने आते है और इसे देखने की मनाही है। कुछ लोगो ने देखने की कोशिश की, इस बात को जांचने के लिए रात में रुके लेकिन सुबह मृत पाए गए और उनके मृत शरीर के रोंगटे खडे थे। यह भी माना जाता है कि रात में यहाँ से घुँघरूओं की आवाज़ सुनाई देती है, हमने कहा कि तने खोखले है शायद कीटों की आवाज़ हो इस पर कहा गया कि इन लताओं-फताओं में कीट नही लगते।
बेहतर होगा कि इन सारी बातों की सही ढंग से जांच हो .. खैर …. कुञ्ज में सैर करने में मज़ा आता है। यहाँ सूखा कुआ भी है जिन्हें राधा की प्यास बुझाने कृष्ण द्वारा खोदा गया माना जाता है
यहाँ एक मूर्त रूप बहुत सुन्दर है जिसमे राधा और सखी ललिता कृष्ण की मुरली लेकर उल्टा उन्हें ही चोर बना देते है। ललिता मंदिर भी सुन्दर है।
वृन्दावन देखने के बाद हम पहुंचे गोकुल धाम जिसकी चर्चा अगले चिट्ठे में …