मथुरा में यमुना किनारे केशी धाट से दूसरे घाट तक फैला है यमुना मंदिर –
लेकिन मंदिर जीवन्त नहीं है। यमुना के जिस तट पर यह मंदिर बसा है वह तट बेहद गन्दा है –
इसी गंदे तट पर कुछ ऊँचाई पर बने मंदिर के अहाते में हर शाम हवन होता है –
लम्बे परिसर में दो-तीन स्थानों पर हवन हो रहा था। बहुत कोफ्त हुई इस मंदिर को देख कर। यदि पूरी सफाई की जाए और मंदिर को संवारा जाए तो यह निश्चित रूप से देश के श्रेष्ठ मंदिरों की श्रेणी में होगा और श्रृद्धालु भी यहां श्रृद्धा से शीर्ष नवाएगें।