शिंगणापुर में शनि देव के मंदिर में महिलाओं को भी अब शनि देव के दर्शन की अनुमति दिए जाने का लाभ उठा कर शनि देव के दर्शन करने के बाद शिरडी में साईँ बाबा के दर्शन और कोपरगांव में साई की तपोभूमि देखने के बाद हम पहुंचे पंढरपुर।
चन्द्रभागा नदी के किनारे स्थित है विट्ठल रूक्मिणी मंदिर। नदी की धारा यहाँ कुछ सूख सी गई है। किनारे स्थित है विट्ठल यानि विट्ठोबा यानी कृष्ण भक्तो के छोटे -छोटे मंदिर –
किनारे से दूर ऊंचाई पर बना है विट्ठल रूक्मिणी मंदिर –
रस्ते में दोनों ओर द्वारिकाधीश और राम मंदिर भी है। मंदिर पुराना काले पत्थरो से बना है। गर्भ गृह में केवल विट्ठोबा की मूर्ती है। यहाँ एक विशेष बात यह है कि दर्शन बहुत पास से होते है, मूर्ती के चरण छू सकते है, ऎसी सुविधा अन्य मंदिरों में नही होती।
इससे आगे है रूक्मिणी का गर्भ गृह जहां भी पास से ही दर्शन किए जा सकते है, यहाँ तक कि मूर्ती के मस्तक पर लगा कुमकुम श्रृद्धालु अपने हाथ से लेकर खुद को टीका कर सकते है।
इससे आगे के गर्भ गृह में है – सत्यभामा जिनकी मूर्ती पारंपरिक मुद्रा में है यानि दोनों ओर कमर पर हाथ रखे है, पीछे बंधा है बालो का जूडा और आँचल एक ओर से कमर में खोंसा गया है।
यहाँ से निकल कर हम तुल्जापुर गए जिसकी चर्चा अगले चिट्ठे में ….