वृन्दावन देखने के बाद हम गोकुल धाम पहुंचे। यह छोटा सा गाँव है। यहाँ भी संकरी गलियाँ है और यहाँ भी दही लस्सी की छोटी दुकाने सजी है। यहाँ देखा नन्द गाँव। यहाँ नन्द जी के महल को मंदिर में परिवर्तित किया गया है –
बाई ओर वासुदेव आगमन की मूर्ती है जिसमे वासुदेव सिर पर टोकरी उठाए है जिसमे लालजी ( छोटे कृष्ण ) विराजमान है। आगे बाल लीलाओं जैसे माखन चोर, कृष्ण, नन्द, यशोदा आदि की झांकियां है।
मुख्य गर्भ गृह बीच के कक्ष में हैं। इसमे बलभद्र और योगमाया है और नीचे झूले में है कृष्ण। श्रृद्धालु दर्शन के बाद झूला देते है जो स्टील की मोटी कडी खींच कर दिया जाता है।
सांकल लगे छोटे -छोटे किवाड़ के विभिन्न कक्ष नीचे और उपरी तल में उस समय के महलो का जीता जगता उदहारण है –
नन्द गाँव देखने के बाद हमने देखा मथुरा जिसकी चर्चा अगले चिट्ठे में …