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श्री राम मन्दिर – भुवनेश्वर

भुवनेश्वर का श्री राम मन्दिर आज के दौर का बना है जो कलात्मक और साफ-सुथरा है –

 

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बीच में मुख्य गर्भगृह में राम लक्ष्मण सीता हनुमान की मूर्तियाँ है। इसके एक ओर के गर्भगृह में राधाकृष्ण और दूसरी ओर के गर्भगृह में हनुमान की मूर्तियाँ है।

नीचे दाहिनी ओर गणेश, शिव और दुर्गा के मन्दिर है और बाईं ओर मुख्य गर्भगृह में महालक्ष्मी और इसके पीछे दुर्गा, सरस्वती, शीतला की मूर्तियाँ और किनारे पर सती माता का मन्दिर भी है।
मन्दिर परिसर में ही विभिन्न देवी-देवताओं के चढ़ावे के लिए विशिष्ट सामग्री जैसे बेल पत्र, कमल आदि बिकते है साथ ही दिये जैसी पूजा की अन्य सामग्री की दूकानें भी सजी है।

इसके बाद हम हैदराबाद लौट आए ….

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संग्रहालय और चिलका झील

भुवनेश्वर में संग्रहालय को स्टेट म्यूज़ियम कहते है –

 

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यहाँ विभिन्न खुदाइयों में मिली बौद्ध युग की दूसरी-तीसरी शताब्दी की प्रतिमाएं है। उङिया लिपि और संख्या के विकास को प्रदर्शित किया गया है। कपङों पर की गई पेंटिंग भी है जो इस प्रदेश की खासियत है। राजाओं महाराजाओं के चित्र है। हर युग के सिक्के प्रदर्शित किए गए है जिनमें आज के युग के बंद हो चुके पांच पैसे के सिक्के भी है। यहाँ का हैण्डलूम भी प्रदर्शित किया गया है और यहाँ के वन्य जीवन का भी परिचय मिलता है।

कुल मिलाकर संग्रहालय बहुत खास तो नहीं है पर अपने राज्य से पूरी तरह परिचित कराता है।
इसके बाद हम गए चिलका झील के किनारे जिसके कुछ चित्र –
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इसके बाद हमने देखा श्री राम मन्दिर जिसकी चर्चा अगले चिट्ठे में  ….

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शान्ति स्तूप

भुवनेश्वर में इस स्थान का मूल नाम है धौलपुर जो धौली के नाम से लोकप्रिय है यहाँ है – शान्ति स्तूप

यह ऊँचाई पर ही बना है। सीढ़ियाँ चढ़ कर जाने पर पहले बाईं ओर एक कक्ष में है पीस ऑफ पगोङा – शान्ति नगाङा –
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यहाँ श्रृद्धालुओं के आने पर शान्ति का नगाङा बजाया जाता है।
फिर आगे बीच में है शान्ति स्तूप का मुख्य भाग –
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परिधि पर थोङी-थोङी दूर पर शेर की मूर्तियाँ है। यहाँ गोलाई में घूमते हुए विभिन्न मुद्राओं में बुद्ध की मूर्तियाँ देखी जा सकती है –
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दीवारें भी कलात्मक है –
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इसके बाद हम गए संग्रहालय और चिलका झील देखने जिसकी चर्चा अगले चिट्ठे में ……

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