देश की सीमा पर देश भक्ति का अनूठा अनुभव होता है। अमृतसर में देश की सीमा कहलाती है – वाघा बार्डर या अटारी बार्डर
यह क्षेत्र श्याम सिंह अटारी की जागीर थी जिसमें एक छोटा सा गाँव था – वाघा, जो इस सीमा पर देश का अंतिम गाँव था। श्याम सिंह अटारी, महाराजा रणजीत सिंह की सेना में थे। इसीसे भारत और पाकिस्तान के बीच की इस सीमा को वाघा बार्डर या अटारी बार्डर कहते है।
वैसे हर शाम हर सीमा पर झण्डा झुकाया जाता है पर इस सीमा पर यह हर शाम समारोह की तरह होता है। अमृतसर घूमने आए सैलानी शाम होते ही यहाँ पहुँचते है। इसके अलावा स्थानीय स्कूलों के बच्चे और कुछ संस्थानों से लोग भी नियमित आते है। भारतीय सीमा पर कमान है जिस पर हिन्दी अंग्रेज़ी में भारत लिखा है, बीच में गाँधी जी की तस्वीर, दोनों ओर चौकस फौजी भाई और बीच में लहराता झंडा।
कुछ दूरी पर अंतिम बिन्दु पर इसी तरह की है पाक की सीमा जिस पर पाक लिखा है, जिन्ना की तस्वीर है और बीच में लहराता पाक झंडा। पाक की सीमा के पास अपनी ओर दोनों किनारों पर है दो झंडे – एक ओर तिरंगा, दूसरी ओर पाक का झंडा। दोनों कमानों के बीच के भाग में होता है समारोह बीटिंग रिट्रीट
हर शाम सीमा सुरक्षा बल ( बी एस एफ ) के फौजी भाई-बहनों और पाक फौजियों द्वारा संयुक्त रूप से सूर्यास्त समय दोनों देशों के झंडे झुकाए जाते है।
यह स्थान एक खुले स्टेडियम की तरह है जहाँ एक ओर महिलाएं और दूसरी ओर पुरूषों के बैठने के लिए सीढ़ियाँ बनी है। पूरे समारोह के दौरान लाउडस्पीकर पर लोकप्रिय फिल्मी देश भक्ति गीत बजाए जाते है। सीमा चौकी पर उपस्थित उच्च अधिकारी विभिन्न नागरिकों के हाथ में तिरंगे थमाते है जिन्हें लेकर वे एक छोर से दूसरे छोर तक जाते है, ऐसे में फौजी भाई बैण्ड बजाते है और दर्शकों की नारेबाज़ी से माहौल गरमाता है, नागरिक खुशी से झूमते है, डांस करते है, देशभक्ति का जूनून सिर चढ़ कर बोलता है।
फिर कुछ फौजी भाई-बहन परेड करते हुए पाक सीमा तक जाते है जहाँ दोनों देशों के झंडे है। इस बीच दोनों कमानों पर भी फौजी भाई बीच में लहराते झंडे तक पहुँचते है और नारों के बीच दोनों देशों के झंडे एक साथ धीमे-धीमे झुकाए जाते है।
इस समारोह स्थल तक गाङी से नहीं जा सकते। कुछ दूर पहले ही गाङी छोङ कर पैदल जाना है। इस रास्ते खाने-पीने के स्टॉल लगे है जहाँ से समारोह के बाद निःशुल्क ये चीज़े ली जा सकती है।
इसके बाद चंद घण्टे दिल्ली में बिताने के बाद हम हैदराबाद लौट आए।