लापता रचनाएं

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एक व्यंग्य लेख की चर्चा करते है – शीर्षक –  तुम चन्दन हम पानी  …. 

इस लेख के लेखक का नाम मुझे याद नही  …. यह लेख घरेलु नौकरों की समस्या पर है  …. इस लेख को कुछ शिक्षण संस्थानों ने स्कूल की बड़ी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया था  …. बहुत रोचक ढंग से इस समस्या को चित्रित किया गया और घरेलु नौकरों की सभी तरह की समस्या पर चर्चा हुई जैसे कामचोरी, बिना पूछे कोई चीज़ ले लेना आदि   …. मुझे  कुछ भाग याद आ रहा है जिसमे काम पर रखने के अगले ही दिन बिना बताए चले जाने की चर्चा है  … मुझे याद आ रहा है व्यंगकार लिखते है  …. उनकी मेज़ पर रखा कीमती फाउंटेन पेन जाते-जाते अपने आप को भेंट करता चला गया  …. इस एक वाक्य से ही लेखक की बढ़िया व्यंग्यशैली का अंदाजा लगाया जा सकता है  ….

यह रचना मैं नही ढूंढ पाई, यदि किसी को जानकारी हो तो बताइए , हो सके तो लिंक दीजिए  … अगर केवल व्यंग्य लेखक का नाम भी पता हो तो बताइए जिससे एक अच्छी व्यंग्य रचना सबके सामने आ सकें  ….

हिंदी साहित्य की एक कहानी मैं ढूंढ रही हूँ जो मैंने बहुत पहले पढ़ी थी ,  इस कहानी को कुछ शिक्षण संस्थानों ने अपने स्कूली पाठ्यक्रम में रखा था  … यह कहानी महिला श्रमिकों पर केंद्रित है जो जरीगोटे सलमा सितारों का काम करते है , मखमल पर बारीक सुई से यह काम बहुत बारीकी से किया जाता है  … शहर  शायद लखनऊ है  …. इस कहानी में एक बूढ़ी माँ , उनकी एक बेटी है और इस बेटी का एक स्कूल में पढ़ने वाला लड़का है जिसका नाम है – राधे  …. बेटी यह काम करती है, उसे यह काम करने के लिए सामन घर पर ही उपलब्ध कराया जाता है, आर्डर लेकर घर पर आते है और काम होने पर कुछ मज़दूरी देकर मखमली  जरीदार लहंगे, कुर्ते  लेकर जाते है और ग्राहकों से इस काम के ऊँचे दाम लेते है, यहां तक कि जल्दी काम पूरा करना हो तो इस गरीब परिवार में बिजली न होने के कारण लालटेन की रौशनी में काम निपटाया जाता है जिससे आँखों की रौशनी कम होती जाती है फिर भी पारिश्रमिक कम ही मिलता है  …. मुझे इस कहानी का एक ही संवाद याद है , जब बेटी से  माँ विश्राम करने के लिए कहती है तब बेटी कहती है – राधे का कुर्ता भी सीना है , वह बहुत दिनों से मैला कुर्ता पहन कर घूम  रहा है  ….  जिससे इस परिवार की गरीबी उजागर होती है  ….

अगर किसी को इस कहानी के शीर्षक और लेखक के बारे में जानकारी हो तो बताइए, यदि अंतर्जाल (नेट ) पर उपलब्ध हो तो लिंक दीजिए या किसी और स्त्रोत से कहानी उपलब्ध हो सकती हो तो बताइए जिससे महिला श्रमिक के शोषण की मर्मस्पर्शी कहानी सामने आ सके  …. यह कहानी प्रासंगिक है  …. आज भी यह काम होता है और आज भी ऐसा शोषण जारी है  ….

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