अजन्ता की गुफाएं

पिछले चिट्ठे में अजन्ता पहुचने और वहां की गुफाओं की कुछ चर्चा की थी जिसे अब आगे बढाते हैं।

कुछ गुफाएं दुमंजिली हैं –

अजन्ता की लगभग हर गुफा में बीच में गौतम बुद्ध की मूर्ति हैं –

एक दो गुफाओं में मूर्ति के स्थान पर स्तूप हैं –

एकाध गुफा में महावीर भगवान की मूर्ति हैं। स्तूप और महावीर की गुफाओं में छत की बनावट भी कलात्मक हैं और गुम्बद जैसी है –

एक गुफा में बुद्ध की मूर्ति शेष शैय्या पर लेटे विष्णु की तरह हैं। पर यह किनारे पर हैं और गलियारे में होने से चित्र लेना कठिन हो गया।

कुछ गुफाओं में दीवारों पर कुछ भी नही हैं। साफ़ सपाट दीवारों में भीतर की ओर छोटी-छोटी कंदराएं बनी हैं जहां ध्यान लगाया ( मेडिटेशन क़िया) जाता था। इस तस्वीर में दो कंदराएं देखी जा सकती हैं –

इनमे भीतर एक जगह हमने देखा कुछ महिलाएं कुछ देर के लिए ध्यान मग्न बैठी रही। एकाध कन्दरा में भीतर पत्थर का चबूतरा सा दिखा।

शुरू की तीन चार गुफाओं के बाद सामने यानि बाई ओर से एक पुल जाता हैं। इस पुल से दूसरी ओर पहुँच कर पैदल बाहर भी निकला जा सकता हैं और ऊपर सीढियां चढ़ते हुए शीर्ष यानि टाप ऑफ द हिल पर पहुंचा जा सकता हैं। यह शीर्ष ऊपर छतरी की तरह हैं। यही शीर्ष से पहाड़ काट कर गुफाएं बनाना और कलाकारी शुरू करते हुए नीचे तक बनाते आए थे। गुफाओं में मूर्तियाँ ही नही हैं बल्कि पत्थर की दीवारों को भी तराश कर मूर्तियाँ जड़ी गई हैं।

सभी गुफाए देखने के बाद हम फिर बस से आरंभिक बिंदु पर लौट आए। यहाँ अजन्ता रेस्तरां में हमने खाना खाया। यह एक ही रेस्तरां हैं। यहाँ का खाना और माहौल दोनों अच्छा लगा। भीतर गुफाएं देखने जाते समय कुछ लोग भेलपुरी बना कर दस रूपए में एक पैकेट बेच रहे थे, यह एक ही चीज भीतर ले जाई जाती हैं और भीतर पुल के पास खीरा बेचने वाले और महिलाओं के लिए माला, बुँदे बेचने वाले एकाध लोग दिखे।

अगले चिट्ठे में एलोरा…

2 टिप्पणियां »

  1. अच्छा लगा ये विवरण

  2. tarun shkya said

    अच्छा लगा ये विवरण

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