रामेश्वरम मन्दिर में मुख्य मन्दिर में जाने से पहले कुंड स्नान किया जाता है।
कुल 24 कुंड है जिनमें से दो कुंड सूख गए है। 22 कुंडो में पानी है पर स्नान 21 कुंडो पर करवाया जाता है क्योंकि 22वें कुंड मे सभी कुंडो का पानी है, अगर कोई 21 कुंडो में स्नान न करना चाहे तो इस एक कुंड में स्नान करना ही पर्याप्त है। यह है तस्वीर -
यह एक हौज़ की तरह जिसमें कमल भी खिले है जबकि सभी 21 कुंड कुएँ की तरह है।
मन्दिर में सबसे पहले हनुमान जी और वहाँ स्थापित शिवलिंग जिसके बाद रामजी के दर्शन करने के बाद सामने ही कुछ लोग नजर आएगे जो हाथ में छोटी बाल्टी या डोल लिए खडे रहते है और कुंड स्नान के लिए पूछते है।
कुंड स्नान के लिए हर व्यक्ति से 51 रूपए लिए जाते है। जिस व्यक्ति को पैसे दिए जाते है वह व्यक्ति आपके साथ हर कुंड के पास जाकर, कुंड में से एक बाल्टी पानी निकाल कर सिर पर से पूरा पानी डाल देता है। इस तरह 21 कुंडो से 21 बाल्टी पानी सिर पर से डाला जाता है, यही कुंड स्नान है। अगर स्नान न करना चाहो तो हर कुंड के पास जाकर कुंड के चबूतरे पर से पानी की कुछ बूँदें सिर पर डालने को भी कुंड स्नान माना जाता है। हमने भी यही किया। इसके लिए पैसे भी नहीं देने पड़ते।
इन कुंडो में विभिन्न तीर्थ स्थानों से लाया गया पानी है जैसे पुष्कर तीर्थ का जल। इसीलिए इन कुंडों को यहाँ तीर्थ कहा जाता है। जितने कुंड उतने तीर्थ। इस तरह रामेश्वरम एक ऐसा स्थान है जहाँ सभी तीर्थ स्थानों के तीर्थ स्नान का लाभ मिल जाता है।
इसके अलावा विभिन्न पौराणिक चरित्रों के नाम पर भी यहाँ कुंड या तीर्थ बनाए गए है जैसे अर्जुन तीर्थ। लंका विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों के नाम से भी कुंड है जैसे रामसेतु बनाने वालों के नाम पर है - नल तीर्थ और नील तीर्थ।
सभी कुंड एक ही स्थान पर नहीं है। पहला कुंड द्वार के पास हनुमान जी और रामजी के मन्दिर के सामने ही है। इसके बाद सभी कुंड पूरे मन्दिर में फैले है। कहीं एक ही कुंड है तो कहीं दो या तीन कुंड भी एक जगह है जैसे गायत्री तीर्थ, सावित्री तीर्थ और सरस्वती तीर्थ साथ-साथ है। अंतिम तीर्थ है गंगा-जमुना। यह देखने में एक ही कुंड लगता है। यह कुंड गोल नहीं लम्बोतरा है। भीतर देखने पर बीच में दीवार है, एक ओर गंगा का जल और दूसरी ओर जमुना का जल है।
हर कुंड के पास नाम और संख्या लिखी है। क्रम से एक के बाद एक कुंड के पास जाकर स्नान किया जाता है। अंतिम कुंड के पास एक और कुंड है जहाँ सभी को गंगाजल से स्नान कराया जाता है जिसके लिए पैसे नहीं देने पड़ते। अगर कोई स्नान नहीं करना चाहे तो कुछ बूंदे सिर पर डाल लेते है। इस तरह गीले कपडों से पूरे मन्दिर में घूमने से मन्दिर का वातावरण बहुत ठंडा लग रहा था। वैसे भी मन्दिर पत्थरों से बना है।
कुंड स्नान के बाद मुख्य मन्दिर में दर्शन करने है जिसकी चर्चा अगले चिट्ठे में…
Sabyasachi Mishra said
Nice Essay and wonderful presentation. In Tamilnadu there are other sacred places Chennai, Kanchipuram, Madurai, Kumbkonam. It has been a long time since I visited that place. Plaese write certain blogs on those places.
Thanks…
Annapurna said
धन्यवाद मिश्रा जी !
मैं जहाँ-जहाँ जाती हूँ वहाँ के बारे में लिखती हूँ। रामेश्वरम की यात्रा के दौरान हमने मदुरै की यात्रा भी की जिसके बारे में अगले चिट्ठों में लिखने वाली हूँ।
PN Subramanian said
बड़ी मजेदार है इन कुण्डों में स्नान की बात.
NIMISHA said
DHNYAVAD AAGE KI KAHANI KA INTJAR RAHEGA
R.S. CHUNDAWAT said
Very nicely described.
Thanks a lot.
Dr Anil Dongre said
Kaash maine pahle padha hota, good description
Deepak Pandey said
बहुत बढिया जानकारी
neetesh baghel said
mujhe to esha lga ki yahi per bhagwan rameswaram ji ke darshan ho gay
Thanks….misra ji…